Awareness of Time
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Awareness of Time

समय की आवश्यकता

भगवान कृष्ण के जन्म से पूर्व कंस के आतंक से पृथ्वी पर र मचा हआ था। धर्म की हानि हो रही थी जो कंस के मन में नीति या अनीति जाने बिना वह कार्य करता। पिता उग्रसेन को में डाल राज्य खुद करने लगा। उसने अपनी बहन देवकी को कैद लिया और उसके नवजात शिशुओं की हत्या करनी आरम्भ कर दी। तब ऐसे में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ।

श्रीमद भगवद्गीता में चतुर्थ अध्याय में भगवान स्वयं अर्जुन से कहते हैं

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।७।।

जब जब धर्म की हानि होती है अर्थात जब भी संसार अपने आपे को (चेतन को) भूल, मिथ्यात्व को महत्व देता है तो वह उस समय अंधकार रुपी मिथ्यात्व का नाश करने के लिये प्रकाश स्वरुप ‘मैं’ ज्ञान रुप से उत्पन्न होता हूँ।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।८।।

जो भी मेरे मार्ग पर चलता है उस के लिये और जो नहीं चलता उस ब्रह्म स्वरुप बनाने के लिये मै बार-बार अंधकार में प्रकाश स्वरुप