“बाबा तो ब्रह्म रुप है, वे नहिं देखें दोय,
जैसी जाकि भावना, तैसो ही फल होय”
“बाबा तो ब्रह्म रुप है, वे नहिं देखें दोय,
जैसी जाकि भावना, तैसो ही फल होय”
छः चीजें अनादि हैं जिनका जन्म नहीं होता, ब्रह्म, माया, ईश्वर, जीव, इनका आपस में संबन्ध और इनका भेद । ब्रह्म अनादि अनन्त है जिसका न जन्म होता है और न ही नाश । किन्तु शेष पांच माया, ईश्वर, जीव, इनका आपस में संबन्ध और अभेद इनका जन्म तो नहीं होता किन्तु नाश हो जाता है। चूंकि ब्रह्मा, विष्णु, शिव की आयु शास्त्रों में लिखी हुई है। जैसे अन्धेरे का जन्म तो नहीं होता किन्तु उसका नाश हो जाता है। अतः पांच चीजें अनादि शांत हैं। बाबा का तथा वेदों का ऐसा मत है। अतः ये ५ चीजें केवल भासित ही होती हैं और ज्ञान के पश्चात नष्ट हो जाती हैं। जैसे आकाश अनादि काल से नीला और तम्बू की तरह से टिका हुआ दिखाई देता है। किन्तु ज्ञान के पश्चात आकाश न नीला है और न ही टिका हुआ है। ऐसे ही यह जगत यह देह दिखाई तो देता है किन्तु कहीं भी मिलता नही।
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